सीरिया पर कब्जे के बाद विद्रोही कमांडर जोलानी की ‘विक्ट्री स्पीच’
पहले HTS और अब सीरिया के नए लीडर विद्रोही कमांडर अबू मोहम्मद अल जोलानी ने जीत के बाद पहला भाषण दिया है. इस भाषण के जरिए उसने अब तक के सफर को दोहराया और दुश्मन देशों को बड़ा संदेश भी दिया.
सीरिया में चल रही उठा-पटक अब थम रही है. राष्ट्रपति बशर अल असद के देश छोड़ने के बाद देश में विद्रोहियों का राज हो गया है. अबू मोहम्मद अल जोलानी के नेतृत्व में एचटीएस के विद्रोही लड़ाकों का दमिश्क पर कब्जा करने के बाद जोलानी ने पहला भाषण दिया है. जोलानी ने दमिश्क में उमय्यद मस्जिद से लोगों को संबोधित किया, जिसे उसकी विक्ट्री स्पीच कहा जा रहा है. विक्ट्री स्पीच के लिए जोलानी ने जिस उमय्यद मस्जिद को चुना वह 1300 साल पुरानी है. इसके पीछे भी एक खास वजह है.
सीरिया से दूर रहे ईरान
सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, जोलानी ने दमिश्क की उमय्यद मस्जिद से कहा, ‘यह जीत इस क्षेत्र के इतिहास में एक नए अध्याय का प्रतीक है. एक ऐसा इतिहास जो खतरों से भरा है, जिसने सीरिया को ईरानी महत्वाकांक्षाओं के लिए एक खेल का मैदान बना दिया था.’ इसके साथ ही जोलानी ने यह साफ कर दिया कि अब सीरिया में ईरान का कोई हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यानी कि ईरान अब लेबनान में हिजबुल्लाह तक पहुंचने के लिए सीरियाई जमीन का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा.
बाइडेन बोले- जोलानी सही बातें कर रहे
जिस जोलानी पर अमेरिका ने 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा हुआ है. अमेरिका और इजरायल HTS को आतंकी संगठन मानते हैं. इसके बाद भी जोलानी ने इजरायल-अमेरिका को संदेश देने की कोशिश की है कि नए सीरिया में आपके हितों को समझा जाएगा. वैसे जोलानी ने असद के खिलाफ लड़ाई छेड़ने के बाद से ही लगातार जो बाइडन और अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तक अपना संदेश पहुंचाने की कोशिश की है.
जोलानी इस मामले में पहले से ही प्लॉट बनाना शुरू कर दिया था और यह बता दिया था कि वह दूसरे जिहादी गुटों से अलग हो गया है. साथ ही HTS उनकी क्रूर रणनीति का समर्थन नहीं करता है. इसी के चलते बाइडन ने भी एक बयान में कहा कि उन्होंने जोलानी को ‘सही बातें कहते हुए’ सुना है. हालांकि उन्होंने साथ में यह भी कहा कि ‘उसे बातों नहीं कामों से आंका जाना चाहिए.’
नशीली दवाओं के कारोबार को करेगा खत्म
जोलानी ने क्षेत्रीय शक्तियों को भी भरोसा दिलाया कि वह सीरिया से नशीली दवाओं के कारोबार को खत्म कर देगा. जो कि असद के शासनकाल में जोरों पर था. वहीं अमेरिका और इजराइल को लेकर जोलानी की नरमी यह बताती है कि वह दूरदर्शी सोच के साथ काम कर रहा है और समझ रहा है कि इन शक्तियों के साथ के बिना वह ईरान से लड़ने में अक्षम है. साथ ही ये वो ताकतें हैं, जो उसे कभी भी नीचे ला सकती हैं. लिहाजा वह इनसे बिगाड़ नहीं करना चाहता है.
ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाली
जोलानी ने दमिश्क की 1300 साल पुरानी उमय्यद मस्जिद को अपनी जीत का संदेश देने के लिए चुना. साथ ही यहीं से पूरी दुनिया को संदेश दिया. उमय्यद मस्जिद दुनिया की सबसे प्राचीन मस्जिदों में से एक है और इसका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है. इस मस्जिद से जीत का भाषण देकर जोलानी ने खुद को धर्म के प्रति जुड़ा दिखाने की कोशिश की है. साथ ही कहा कि ये इस्लामी राष्ट्र के लिए एक अहम जीत है, जो हजारों शहादत के बाद मिली है.
सीरिया सुन्नी बहुल देश है, इस मौके पर जोलानी ने कहा, ”ऐसे देश में जहां आपने जो भगवान चुना है, और आप कैसे प्रार्थना करते हैं, वह आपके वर्ग को परिभाषित कर सकता है, आपकी आकांक्षाओं को सीमित कर सकता है और आपको आपके पड़ोसी के खिलाफ खड़ा कर सकता है.” यानी कि उसने खुद को उदारवादी भी दिखाने की कोशिश की.