हनुमान चालीसा की सिद्धि कैसे होती है?
दुनिया में ऐसा शायद ही कोई सनातनधर्मी होगा, जो हनुमान चालीसा न पढ़ता हो. लेकिन क्या आप जानते हैं कि महज हनुमान चालीसा रख लेने से ही उसका लाभ नहीं होता बल्कि इसके लिए उसे सिद्ध भी करना पड़ता है.
हनुमान चालीसा एक विलक्षण साधना क्रम है, जिसमें कई सिद्धों की शक्ति कार्य करती है. यह चालीसा अनंत शक्तियों से संपन्न है. भारतीय आगम तथा निगम में स्तोत्र का एक महत्वपूर्ण स्थान है. सामान्य रूप से स्तोत्र की व्याख्या कुछ इस प्रकार की जा सकती है कि स्तोत्र विशेष शब्दों का समूह है जिसके माध्यम से इष्ट की अभ्यर्थना की जाती है.
शिवतांडव स्तोत्र हो या सिद्ध कुंजिका, सभी अपने आप में कई कई गोपनीय प्रक्रिया तथा साधनाओं को अपने आप में समाहित किये हुए है. कई स्तोत्र, कवच, सहस्त्रनाम, खडगमाल आदि शिव या शक्ति के श्रीमुख से उच्चारित हुए है जो की स्वयं सिद्ध है ऐसे ही हनुमान चालीसा स्वयं सिद्ध है जो स्वयं महादेव का आशीर्वाद है.
यजलक्ष्मी ट्विटर हैंडल के अनुसार, अगर सूक्ष्म रुप से अध्ययन किया जाए तो हनुमान जी के मूल शिव स्वरुप है कानन कुंडल, संकर सुवन, तुम्हारो मन्त्र, आपन तेज, गुरुदेव की नाइ, अष्ट सिद्धि आदि विविध शब्द के बारे में साधक खुद ही अध्ययन कर विविध पदों के गूढार्थ समझने की कोशिश करे तो कई प्रकार के रहस्य साधक के सामने उजागर हो सकते हैं.
हनुमान चालीसा को सिद्ध करने के तरीके
जो सत् बार पाठ करे कोई, छूटही बंदी महासुख होई… जो हनुमान चालीसा का 108 ( 100 + 8 हवन के = 108 ) बार पाठ कर लेता है तो बंधन से मुक्त होता है तथा महासुख को प्राप्त होता है. यह सहज ही संभव नहीं होता है. भौतिक अर्थ इसका भले ही कुछ और हो किंतु आध्यात्मिक रूप से यहां पर बंधन का अर्थ आतंरिक तथा शारीरिक दोनों बंधन से है. महासुख अर्थात शांत चित की प्राप्ति होना है.कोई भी स्थिति की प्राप्ति के लिए साधक को एक निश्चित प्रक्रिया को करना अनिवार्य है क्योंकि एक निश्चित प्रक्रिया ही एक निश्चित परिणाम की प्राप्ति को संभव बना सकती है.
संकल्प कैसे लें?
मैं अमुक नाम का साधक यह प्रयोग कार्य(इच्छा पूर्ति) के लिए कर रहा हु, भगवान हनुमान मुझे इस हेतु सफलता के लिए शक्ति तथा आशीर्वाद प्रदान करें…
अगर साधक निष्काम भाव से यह प्रयोग कर रहा है तो संकल्प लेना आवश्यक नहीं है. साधक अगर सकाम रूप से साधना कर रहा है तो साधक को अपने सामने भगवान हनुमान का वीर भाव से युक्त चित्र स्थापित करना चाहिए. अर्थात जिसमें वह पहाड़ को उठा कर ले जा रहे हों या असुरों का नाश कर रहे हो. किंतु अगर निष्काम साधना करनी हो तो साधक को अपने सामने दास भाव युक्त हनुमान का चित्र स्थापित करना चाहिए अर्थात जिसमे वह ध्यान मग्न हो या फिर श्रीराम के चरणों में बैठे हुए हों.
साधक को यह क्रिया एकांत में करना चाहिए, अगर साधक अपने कमरे में यह क्रिया कर रहा हो उस. समय उसके साथ कोई और दूसरा व्यक्ति नहीं होना चाहिए. शुद्ध चरित्र , शुद्ध भाव, शुद्ध शरीर होना चाहिए. उचित होगा कि किसी एकांत कमरे या निर्जन स्थान, मन्दिर आदि का आश्रय लेकर साधना की जाए. साधिका हनुमान साधना या प्रयोग संपन्न कर सकती है. रजस्वला समय में यह प्रयोग या अन्य कोई भी साधना नहीं की जा सकती है. साधक साधिकाओं को यह प्रयोग करने से एक दिन पूर्व, प्रयोग के दिन तथा प्रयोग के दूसरे दिन अर्थात कुल 3 दिन ब्रह्मचर्य पालन करना चाहिए.
सकाम उपासना में करें ये उपाय
- सकाम उपासना में वस्त्र लाल रहे निष्काम में भगवे रंग के वस्त्रों का प्रयोग होता है. यदि सम्भव न हो सके तो केवल लाल वस्त्र का ही दोनों कर्मों में प्रयोग करे.
- दोनों ही कार्य में दिशा उत्तर रहे.
- साधक को भोग में गुड़ तथा उबले हुए चने, एक रोटी जोकि साधक ने स्वयं बनाई हो, अर्पित करने चाहिए.
- कोई भी फल अर्पित किया जा सकता है. खासकर के केले व जंगली फल.
- साधक दीपक तेल या गाय के घी का लगा सकता है.
- साधक को आक के पुष्य या लाल रंग के पुष्य समर्पित करने चाहिए.
- यह प्रयोग साधक किसी भी मंगलवार की रात्रि वैदिक में प्रांत काल अगर समय ना हो तो समय रात्रि 10 बजे के बाद का चयन करे.
- सर्व प्रथम साधक शुद्ध हो कर वस्त्र धारण कर लाल आसान पर बैठ जाएं.
- साधक अपने पास ही आक के 108 पुष्प रख लें.
- अगर किसी भी तरह से यह संभव न हो तो साधक कोई भी लाल रंग के 108 पुष्य अपने पास रख लें.
- पने सामने किसी पूजा स्थान में लाल वस्त्र बिछा कर उस पर हनुमानजी का चित्र या यन्त्र या विग्रह को स्थापित करे.
- फिर उनके सामने तेल या घी का दीपक जलाएं.
- साधक गुरु पूजन गुरु मंत्र का जाप करके गणपति जी से कार्य सिद्धि हेतु प्रार्थना करे और श्री राम जी का, सीता जी का, और कार्य सिद्धि हेतु प्रार्थना करे हनुमान जी का आह्वान करे तथा उनका सामान्य पूजन करे.
- इस क्रिया के बाद साधक ‘हं’ बीज का उच्चारण कुछ देर करे तथा उसके बाद अनुलोम विलोम प्राणायाम करे.
- प्राणायाम के बाद साधक हाथ में जल ले कर संकल्य करे तथा अपनी मनोकामना बोलें.
- इसके बाद साधक राम रक्षा स्तोत्र या ‘रां रामाय नमः’ का यथा संभव जाप करे. साधक को उसी रात्रि में 108 बार पाठ करना है.
- हर एक बार पाठ पूर्ण होने पर एक पुष्य हनुमानजी के यंत्र/चित्र/विग्रह को समर्पित करे. इस प्रकार 108 बार पाठ करने पर 108 पुष्य समर्पित करने चाहिए. 108 पाठ पुरे होने पर साधक वापस ‘हं’ बीज का थोड़ी देर उच्चारण करे तथा जाय को हनुमानजी के चरणों में समर्पित कर दे. इस प्रकार यह प्रयोग पूर्ण होता है. साधक दूसरे दिन पूजन पुष्प तथा चित्र का विसर्जन कर दे.