सोहा अली खान :शर्मिला टैगोर एक दौर में हिंदी सिनेमा की टॉप अभिनेत्रियों में से एक थीं और आज भी वह इंडस्ट्री का जाना-माना नाम हैं। आज भी लोग उनकी खूबसूरती के मुरीद हैं। शर्मिला ने 1968 में क्रिकट वर्ल्ड के बादशाह मंसूर अली खान पटौदी से निकाह किया था, जिनसे उनके तीन बच्चे सबा अली खान, सैफ अली खान और सोहा अली खान हैं। शर्मिला के तीनों बच्चों में से दो सैफ और सोहा भी अब बॉलीवुड का जाना-माना नाम हैं। इस बीच शर्मिला टैगोर की बेटी और अभिनेत्री सोहा अली खान ने अपनी मां और पटौदी पैलेस को लेकर कई सीक्रेट्स खोले और बताया कि आखिर शर्मिला टैगोर पटौदी पैलेस की कैसे देख-रेख करती हैं।

सोहा ने खोले पटौदी पैलेस से जुड़े राज
हाउसिंग डॉट कॉम यूट्यूब चैनल पर साइरस ब्रोचा से बातचीत में सोहा ने बताया कि उनकी मां पटौदी पैलेस में होने वाले खर्चों का पूरा हिसाब-किताब रखती हैं। उन्होंने बताया कि पटौदी पैलेस का प्रबंधन मुख्य रूप से उनकी मां के पास है और आखिर क्यों वह हवेली में पेंट की जगह पुताई कराती हैं। सोहा ने बताया कि उनकी मां यह सुनिश्चित करती हैं कि सारे काम सही से हों और हर दिन के खर्च का हिसाब होता है। शर्मिला टैगोर पाई-पाई का हिसाब-किताब रखती हैं।

पटौदी पैलेस में क्यों कराती हैं पुताई?
सोहा अली खान ने ये भी बताया कि शर्मिला टैगोर पटौदी पैलेस में पेंट की जगह पुताई करवाती हैं। इसकी एक वजह ये है कि ये काम कम महंगा होता है। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी बताया कि कई सालों से पटौदी पैलेस में कुछ भी नया नहीं जोड़ा गया है क्योंकि उन्हें यहां का आर्किटेक्चर और नक्काशी बहुत पसंद है और वह इसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं चाहतीं।

सोहा क्यों नहीं बन सकीं प्रिंसेस?
पटौदी पैलेस के इतिहास के अनुसार, सोहा की दादी यान मंसूर अली खान पटौदी की मां भोपाल की बेगम थीं और दादा नवाब थे। साल 1970 में मंसूर अली खान पटौदी और शर्मिला टैगोर के बेटे सैफ अली खान का जन्म हुआ और उन्हें यहां का प्रिंस बना दिया गया। साल 1978 में सोहा का हुआ, लेकिन तब तक रॉयल टाइगर्स खत्म हो गए, इसलिए वो फिर प्रिंसेस नहीं बन सकीं।

क्यों बनाया गया था पटौदी पैलेस
सोहा अली खान ने इसके पीछे की वजह का खुलासा करते हुए बताया कि उनकी दादी और दादा की शादी नहीं हो पा रही थी, जिसके पीछे की वजह उनकी दादी के पिता थे। ऐसे में सोहा के दादा ने उनकी दादी के पिता को इंप्रेस करने के लिए पटौदी पैलेस बनवाया था। उन्होंने बताया कि उनकी दादी के पिता को उनके दादा से जलन होती थी, क्योंकि वो अच्छे स्पोर्ट्समैन थे। लेकिन, पटौदी पैलेस बनवाते-बनवाते उनके दादा के पैसे खत्म हो गए। ऐसे में फर्श पर मार्बल का काम करवाने की जगह बहुत सारा सीमेंट का काम कराया गया और ऊपर से कारपेट डाल दिए गए थे।

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