दिल्ली को नई CM के बाद मिलेगा नया मेयर!

आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी (Atishi) के नाम का ऐलान कर दिया है. इसके बाद अब दिल्ली नगर निगम (MCD) को भी जल्द ही नया मेयर मिलने की उम्मीद बढ़ गई है, जो पिछले 6 महीनों से अटका हुआ है.

आम आदमी पार्टी (AAP) ने दिल्ली के नए मुख्यमंत्री के रूप में आतिशी (Atishi) के नाम का ऐलान कर दिया है. आतिशी ने सरकार बनाने का दावा भी पेश कर दिया है और जल्द ही वो मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी. इसके साथ ही दिल्ली नगर निगम (MCD) को भी जल्द ही नया मेयर मिलने की उम्मीद बढ़ गई है. बता दें कि मेयर चुनाव पिछले 6 महीनों से अटका हुआ है.

केजरीवाल के जेल में होने के कारण अटका चुनाव

इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे अरविंद केजरीवाल के जेल में होने की वजह से वो मेयर के चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति नहीं कर पाए थे. केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद भी किसी फाइल साइन न करने की कोर्ट की शर्तों की वजह से यह मामला लटका हुआ था. हालांकि, अब नई सीएम आतिशी की नियुक्ति के बाद मेयर चुनाव होने की संभावना है.

एलजी ने कर दिया था पीठासीन अधिकारी की नियुक्त से इनकार

इस साल 25 अप्रैल को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री से इनपुट के बिना मेयर चुनाव कराने के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने से इनकार कर दिया था. इसके बाद 26 अप्रैल को होने वाला मेयर चुनाव अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था. एमसीडी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, मेयर चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई थी और चुनाव आयोग से अनुमति मांगी गई थी, क्योंकि लोकसभा चुनावों के लिए आदर्श आचार संहिता लागू थी. लेकिन, चुनाव नहीं हो सके, क्योंकि एलजी द्वारा पीठासीन अधिकारी नियुक्त नियुक्त नहीं किया गया था.

मेयर पद के लिए 5 नामांकन

मेयर चुनाव के लिए अप्रैल में नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई थी और मेयर पद के लिए 5 नामांकन हुए थे. इनमें आम आदमी पार्टी (AAP) के महेश कुमार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कृष्ण लाल के 2 नामांकन मेयर पद के लिए थे. ये नामांकन अभी भी वैध बने हुए हैं. इसके अलावा डिप्टी मेयर पद के लिए 3 नामांकन किए गए थे और वो भी वैध बने हुए हैं. इसलिए, अब चुनाव के लिए नए नामांकन नहीं मांगे जाएंगे.

सीएम के जरिए उपराज्यपाल तक पहुंचती है फाइल

दिल्ली नगर निगम (MCD) के मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने की फाइल दिल्ली के मुख्यमंत्री के जरिए उपराज्यपाल तक पहुंचती है. मुख्यमंत्री इस फाइल पर उस पार्षद को मेयर चुनाव के लिए पीठासीन अधिकारी होने सिफारिश करते हैं, जो चुनाव में प्रत्याशी न हो. इसके बाद एलजी की तरफ से इस पर अनुमति दी जाती है.

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