चांदनी चौक के गौरी शंकर मंदिर में औरंगजेब की हर चाल पड़ गई थी उल्‍टी, चमत्‍कार देख हुआ नतमस्‍तक

दिल्‍ली के दिल चांदनी चौक स्थित गौरी-शंकर मंदिर बेहद प्रसिद्ध है. सावन महीने में इस मंदिर के दर्शन करें और वह इतिहास जानें जब मुगल बादशाह औरंगजेब भी यहां के चमत्‍कारों के आगे सिर झुकाने पर मजबूर हो गया था.

सावन महीने में शिव मंदिर के दर्शन करना, पूजन-अभिषेक करना बेहद शुभ होता है. शिव भक्‍त ज्‍योतिर्लिंग और मशहूर शिव मंदिरों के दर्शन करने जाते हैं. दिल्‍ली-एनसीआर में कई प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं. इनमें से एक है दिल्‍ली के दिल चांदनी चौक में स्थित प्राचीन गौरी शंकर मंदिर. माना जाता है कि यहां पर भगवान शिव और माता पार्वती प्रकट हुए थे. साथ ही अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी इस मंदिर में शिव-पार्वती की पूजा की थी. इस प्राचीन मंदिर में सैकड़ों वर्ष पुराने 5 पीपल के वृक्ष भी हैं. पहले यहां से यमुना नदी बहती थी और श्रद्धालु यमुना में स्‍नान करने के बाद एक लोटा जल महादेव को अर्पित करते थे. यह मंदिर चमत्‍कारिक है और इसके चमत्‍कारों के आगे मुगल बादशाह औरंगजेब की सारी हेकड़ी निकल गई थी.

औरंगजेब ने बंधवा दी थीं मंदिर की घंटियां  

चांदनी चौक के गौरी शंकर मंदिर को लेकर वैसे तो कई चमत्‍कार और कहानियां मशहूर हैं लेकिन इनमें सबसे रोचक किस्‍सा मुगल बादशाह औरंगजेब से जुड़ा है. बताया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब जब दिल्‍ली पर शासन करता था तो उसने मंदिर की घंटियां बंधवा दी थीं, ताकि मंदिर की घंटियों की आवाज से उसकी नींद में खलल ना पड़े.

लेकिन उस समय औरंगजेब हक्‍का बक्‍का रह गया जब बंधी हुई घंटियों से भी वैसे ही जोरदार आवाज आ रही थी जैसे उन्‍हें बजाने पर आ रही थी.

फिर चली एक नई चाल… 

इसके बाद औरंगजेब ने एक और चाल चली. उसने तड़के सुबह एक थाली में अशुद्ध चीजें रखकर शिव जी के सामने रखने के लिए भेज दीं. जैसे ही अशुद्ध चीजों से भरे थाल का कपड़ा शिव जी के सामने ले जाने के बाद हटाया गया तो सब भौंचक रह गए. उस थाल में फूल ही फूल थे. वे अशुद्ध चीजें फूलों में बदल गईं थीं.

पूरी होती है हर मुराद 

इस चमत्‍कारिक शिव मंदिर को लेकर मान्‍यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. जो भी भक्‍त यहां शिव जी को एक लोटा जल अर्पित करता है और पूरे भक्ति भाव से प्रार्थना करता है, महादेव उसकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं.

 

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